Ranchi- झारखंड का सबसे पिछड़ा और सुदूरवर्ती जिला माने जाने वाले सिमडेगा जिले की आदिवासी बेटियों को यूपी के मथुरा जिले में देह व्यापार में झोंकने की खबर सामने आयी है. एक स्वयं सेवी संगठन मुक्ति फाउंडेशन के सहयोग से इन बेटियों को दरिंदों से मुक्त करवाया गया है, जिसके बाद बाल संरक्षण आयोग के द्वारा इन बेटियों को झारखंड लाने की तैयारी की जा रही है.
अलग-अलग नम्बर से फोन कर मुक्ति की लगायी जा रही थी गुहार
बताया जाता है कि झारखंड बाल संरक्षण आयोग के पास एक लड़की ने इस बात की गुहार लगायी थी कि उसकी नाबालिग बहन को बंधक बना कर रखा गया है. झारखंड बाल संरक्षण के द्वारा इसकी सूचना मुक्ति फाउंडेशन के निदेशक वीरेंद्र कुमार सिंह को भी मिली. लेकिन मुश्किल यह थी कि बच्ची को कहां रखा गया है, इसकी कोई ठोस जानकारी उपलब्ध किसी के पास नहीं थी, पीड़िता की बहन का कहना था कि उसकी बहन हर बार अलग-अलग नम्बर से बात कर अपनी कहानी बता रही है, उसका कहना है कि उसे अपने कमरे से भगवान कृष्ण का बड़ा रथ दिखलायी पड़ता है. इस बीच जब सभी नम्बरों की पड़ताल की गयी तो इस बात की जानकारी मिली सारे नम्बर मथुरा के आसपास के हैं, जिसके बाद वीरेंद्र के नेतृत्व में 3 सदस्यीय टीम मथुरा के लिए निकल गयी.
मथुरा पहुंचते ही टीम ने यूपी पुलिस को मामले की जानकारी देते हुए सहयोग की मांग की, जिसके बाद एसएसपी शैलेश पांडे ने संस्था के साथ सादी वर्दी में अपने कर्मियों को भी मिशन मुक्ति पर लगा दिया. उसके बाद देर रात कर्मियों ने एक ढाबा से दो नाबालिग बच्चिचों को बरामद कर लिया. साथ ही चार आरोपियों की भी गिरफ्तारी हो गयी. बाद में इन्ही आरोपियों की निशानदेही पर दूसरी बच्चियों को भी बरामद करने में सफलता मिल. अब इन सभी नाबालिग बेटियों को वापस झारखंड लाने की तैयारी की जा रही है.
आगे क्या है योजना
झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सुनील वर्मा ने बताया जितने भी ट्रैफिकिंग के मुद्दे आ रहे हैं उसकी एक ट्रैकिंग एवं सोशल रिपोर्ट बनाई जाएगी और उन सभी बच्चियों को काउंसलिंग की जाएगी ताकि उनकी राय जान सके कि अपने जीवन स्तर के विकास के लिए शिक्षा के साथ-साथ और क्या करना चाहते हैं झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग एक इनोवेशन परियोजना तैयार कर रही है जिसके माध्यम से सभी बच्चियों को को जोड़ा जा सके और सरकार की योजनाओं से उनका लाभ दिया जा सके