Ranchi-पूर्व सीएम रघुवर दास को ओडिशा का गवर्नर बनाने के बाद सियासी और सामाजिक हलकों में भ्रष्टाचार को लेकर शुरु हुआ ताजा विमर्श दूर्गा पूजा और दीपावली के उत्साह में फीका पड़ते नजर आने लगा है, इस वक्त चारों ओर शांति नजर आ रही है. राजनेताओं ने अपने धारदार जुबान पर ताला लगा दिया है तो ईडी भी अपनी गतिविधियों पर विराम लगाती दिख रही है. हालांकि वह बड़ी खामोशी से इस वक्त का इस्तेमाल झारखंड शराब घोटला का मुख्य किरदार के रुप में प्रस्तुत किये जा रहे योगेन्द्र तिवारी से पूछताछ में कर रही है.
सत्ताधारी दल के कई राजनेताओं पर खड़ा हो सकता है संकट
यहां बता दें कि फिलहाल योगेन्द्र तिवारी 8 दिनों की रिमांड पर है. माना जाता है कि इन आठ दिनों में ईडी उन सबूतों को खंगालने का काम करेगी जो योगेन्द्र तिवारी के बयानों और स्वीकारोक्तियों के बाद सामने आयेगा. लेकिन यह महज तूफान के पहले की शांति हैं. जैसे ही दीपावली के पठाखों का शोर मंद पड़ेगा, ईडी का धमाका शुरु होगा और इसकी चपेट में सत्ताधारी दल के कई राजनेता आयेंगे. कई सफेदपोशों के चेहरे को बेनकाब किया जायेगा और उसके बाद शुरु होगा आरोप-प्रत्यारोप की बौछार.
भाजपा नेताओं के साथ योगेन्द्र तिवारी की गलबहिंया सामने लाने की तैयारी में झामुमो
ध्यान रहे कि जिस योगेन्द्र तिवारी को आगे कर भाजपा सीएम हेमंत और उनके करीबियों को बेधना चाहती है, उस योगेन्द्र तिवारी का भाजपा नेताओं का साथ की गलबहिंया काफी मशहूर रही है. इसकी एक झलक रघुवर शासन काल में काबिना मंत्री सरयू राय के उस बयान में मिलती है, जिसमें उन्होंने कहा कि काश 2017 में तत्कालीन रघुवर सरकार ने प्रेम प्रकाश को अपना सुरक्षा कवच प्रदान नहीं किया होता, उनके दावों के अनुसार तात्कालीन उत्पाद आयुक्त भोर सिंह यादव करीबन चार घंटों तक रांची के अरगोड़ा थाने में प्रेम प्रकाश के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए बैठे रहें, लेकिन तात्कालीन सीएम रघुवर दास ने प्राथमिकी दर्ज करने पर रोक लगा दी, और इस प्रकार भ्रष्टाचार का पुलिंदा हाथ में लेकर भोर सिंह यादव को बैरंग वापस लौटना पड़ा, दरअसल भोर सिंह यादव के पास इस बात के पुख्ता सबूत थें कि प्रेम प्रकाश ने शराब कारोबार में सरकार को सात करोड़ रुपये का चुना लगाया है.
प्रेम प्रकाश को तात्कालीन सीएम रघुवर दास का दुलारा माना जाता था
लेकिन तब प्रेम प्रकाश सीएम रघुवर दास का दुलारा माना जाता था, सत्ता के गलियारों में उसकी तूती बोलती थी. और किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं थी कि वह प्रेम प्रकाश के खिलाफ आंख दिखालने की हिम्मत भी करें, लेकिन दाद देनी होगी, तात्कालीन उत्पाद आयुक्त भोर सिंह यादव की, जिसने प्रेम प्रकाश के खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत दिखलाई, लेकिन आखिरकार भोर सिंह यादव को सीएम रघुवर के साथ ही भाजपा के शीर्ष नेताओं के आगे झुकना पड़ा और इस प्रकार एक ईमानदार अधिकारी का हिम्मत जवाब दे गया.
इस खेल का एक अदना सा प्यादा है योगेन्द्र तिवारी
यहां यह भी बता दें कि जिस योगेन्द्र तिवारी रुपी कमजोर प्यादे को आज शराब व्यापार का किंग पिन माना जाता है, वह दरअसल उसके सिर पर इसी प्रेम प्रकाश की सरपरस्ती हासिल थी, आज योगेन्द्र तिवारी जो कुछ भी है, उसमें एक बड़ी भूमिका प्रेम प्रकाश का भी है. और यह कहानी सिर्फ यहीं नहीं रुकती, योगेन्द्र तिवारी का एक सिरा आज के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल से भी जुड़ता है, दावा किया जाता है कि योगेन्द्र तिवारी की कंपनी में बाबूलाल के परिजनों का ना सिर्फ पैसा लगा हुआ है, बल्कि वह इस कंपनी के बोर्ड ऑफ डायेरक्टर का वे हिस्सा भी रहे हैं, और सिर्फ बाबूलाल ही नहीं, उनका प्रेस सलाहकार सुनील तिवारी की पत्नी भी इस कंपनी का हिस्सा रही है.
योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी के बाद हर दिन एक नया पर्दाभाश कर रहा है झामुमो
यही कारण है कि योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी के बाद झामुमो इस बात की मांग पर अड़ा है कि इस छोटे से प्यादे की गिरफ्तारी से इस घोटाले का पर्दाभाश नहीं होने वाला है, ईडी को इसके तह तक जाना चाहिए, उसके तमाम खातों और बहियों की जांच कर इस बात का पत्ता लगाना चाहिए कि इसकी कंपनी के निवेशक कौन हैं और उनका धंधा क्या है, उनकी आय का स्त्रोत क्या है.
झामुमो महासचिव सुप्रियो को इस बात का दावा कर रहे हैं कि योगेन्द्र तिवारी के पीछे भाजपा के शीर्ष नेताओं का वरदहस्त प्राप्त है, और यह महज उनकी ओर से इस कंपनी का संचालन करने वाला अदना सा कार्यकर्ता है, बड़े खिलाड़ी तो योगेन्द्र तिवारी को आगे कर झामुमो को घेरने का शोर मचा रहे हैं, सुप्रियो ने इस बात का भी दावा किया है कि 15 दिनों के बाद यानि दीपावली के पटाखों की गूंज समाप्त होते ही वह एक बड़ा धमाका करेंगे, उसके बाद भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार का शोर मचाते इन भाजपा नेताओं का जुबान में ताला लग जायेगा.
हालांकि भाजपा नेताओं का दावा है कि यह सब कुछ महज एक कहानी है, जिसको सामने लाकर झामुमो अपने दामन को बचाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन इसी बीच झामुमो ने एक दूसरा फ्रंट भी खोल दिया है.
सियासी चाल और उलटवासियों का चैंपियन सिर्फ भाजपा नहीं
एक तरफ जहां ईडी दस्तावेजी साक्ष्यों और सबूतों को जमा कर अपनी जांच की दिशा को एक खास दिशा में आगे बढ़ती नजर आ रही है, वहीं दूसरी तरफ हेमंत सरकार ने रघुवर शासन काल के पांच मंत्रियों के खिलाफ एसीबी जांच का आदेश देकर यह साफ कर दिया है कि सियासी चाल और उलटवासियों का चैंपियन सिर्फ भाजपा नहीं है, उसकी हर चाल और साजिश का तोड़ झामुमो के थिंक टैंक के पास है. हमले और प्रतिवार का बारुद उसके पास भी मौजूद है.
रघुवर शासन काल के पांच मंत्रियों पर टूट सकता है एसीबी का कहर
ध्यान रहे कि रघुवर शासन के पांच मंत्रियों अमर कुमार बाउरी, रंधीर कुमार सिंह, डॉ लुईस मरांडी, डॉ नीरा यादव और नीलकंठ सिंह मुंडा के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप है, दावा किया जाता है कि मंत्री रहते हुए इन मंत्रियों के द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी आय से 200 सौ से 1100 फीसदी तक संपत्ति अर्जित किया गया. इस मामले में सबसे पहले झारखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी, जिसके बाद हेमंत सरकार की ओर से इस मामले में एसीबी को जांच का आदेश दिया गया था, अपनी प्रारम्भिक जांच में एसीबी ने इन मंत्रियों पर लगे तमाम आरोपों को सही पाया है, और अब वह इन मंत्रियों के विरूद्ध अलग-अलग पांच प्रीलिमिनरी इंक्वायरी (पीई) दर्ज कर उनकी संपत्तियों का ब्योरा जुटा रही है. निबंधन कार्यलायों में उनके नाम निबंधित जमीनों का विवरण जुटाया जा रहा है. और जांच यहीं खत्म नहीं हो रही है, एसीबी के रडार पर इन मंत्रियों के परिजन भी हैं.
साफ है कि दिवाली खत्म होते ही झारखंड की फिजाओं में सियासी बारुद का शोर सुनाई देने वाला है, वार प्रतिवार की लम्बी कथा सामने आने वाली है, और इस कथा के कई किरदार आज भी झारखंड की सियासत में अपना रसूख बनाये हुए हैं, देखना होगा कि इस धमाके बाद वह अपने अपने दामन को किस प्रकार पाक साफ दिखलाने की दलील पेश करते हैं.