टीएनपी डेस्क(TNP DESK):पिछले एक दो दशकों से भारत में ऐसी फिल्में बन रही थी. जिसमें वही घिसे-पीटे गाने, वही एक्शन, वही ग्लैमर, वही पुराने हीरो-हीरोइन लोगों को फिल्म में परोसे जाते थे. और मजबूरी में लोग उसको देखते भी थे. क्योंकि देखना मजबूरी भी होती थी. लोगों के पास कोई ऑप्शन नहीं होने की वजह से लोग इसको मजबूरन देखते थे. लेकिन साल 2020 के आते-आते कुछ ऐसी अच्छी-अच्छी फिल्में बननी शुरु हुई. जिसमे जिसमें ना तो कोई ड्रैमेटिक म्यूजिक, ना कोई फालतू ड्रामा और ना ही कोई ग्लैमर और ना ही दिखावे का एक्शन रहता है.
ओटीटी प्लेटफॉर्म का बढ़ा चलन
इसमें लोगों को रियल और सच्ची कहानियां देखने को मिलती है. लोग अब अब सच्ची कहानियों पर आधारित ही देखना पसंद करते हैं. जिसमें दिखावा ना के बराबर होता है. ऐसी जितने भी फिल्में बनी है. उसको दर्शकों ने ढ़ेर सारा प्यार दिया. इसके साथ ही इन दिनों ओटीटी प्लेटफॉर्म का चलन भी बढ़ गया है. जिसमें वेब सीरीज सबसे ज्यादा धमाल मचा रही है. इन वेब सीरीजों में गांव की खूबसूरती, आम लोगों की कहानी, छोटे-छोटे किस्से और बेतुकी बातों ने लोगों के दिलों में जगह बना ली.
पंचायत वेब सीरीज से लोगों को कुछ नया देखने को मिला
एक ऐसे ही वेब सीरीज पिछले साल लोगों को देखने को मिली. जिसका नाम ही पंचायत है. इसका एक डायलॉग बहुत ही ज्यादा फेमस हुआ था. ‘देख रहे हो ना विनोद, कैसे बेवकूफ बनाया जा रहा है’. इसके सारे कैरेक्टर इतने साधारण इतने और फनी थे कि लोगों के दिल में इनको एक अलग जगह मिली. इस वेब सीरीज के एक-एक डायलॉग, कैरेक्टर लोगों के जेहन में बस गए. इसलिए इसके नाम से ही लोगों के मुंह पर मुस्कान आ जाती है.
पंचायत के सभी किरदारों ने मचाया धमाल
इसके मुख्य किरदारों में गांव के सचिवजी उनके सहयोगी विकास, गांव के सरपंच उनकी पत्नी, उनकी बेटी रिंकी और तमाम कैरेक्टर सभी फेमस हो गए. इस सीरीज के रिलीज होते ही धूम मच गई. जिसको लोगों ने ढेर सारा प्यार दिया. पंचायत की सफलता का किसी को अंदाजा नहीं था. यहां तक कि इस वेब सीरीज को निर्देशक ने यहां तक कहा है कि हम लोगों जब इसको बनाया था. इतनी बड़ी सफलता इसको मिलेगी इसका अंदाजा नहीं था.
अब लोग साधारण चीजें देखना पसंद करते हैं
इस बेव सीरीज की सफलता बताती है कि भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग बहुत व्यस्त है. लोगों को हजारों परेशानियां है. जिसमें लोग जटिल चीजें नहीं बल्कि सिंपल साधारण चीजें देखना पसंद करते हैं. लोग ज्यादा भोलेपन को देखना पसंद करते हैं. शहर की चकाचौंध को छोड़कर गांव की धूल मिट्टी देखना चाहते हैं. गांव के लोगों की सादगी देखना चाहते हैं. खेतों में लहराते फसल देखना चाहते हैं. ना कि बड़े-बड़े बिल्डिंग देखना चाहते हैं.
गुल्लक ने भी सभी के दिलों में बनाई जगह
इसके साथ ही एक और आम लोगों की जिंदगी पर आधारित वेब सीरीज बनी जिसका नाम गुल्लक था. जिसमे शहर में रहनेवाले लोगों को कैसे अपने सपनों को मार-मारकर पैसे जमा करके सभी चीज पूरा करनी पड़ती है.इसको अच्छी तरह से फल्माया गया. इसको भी लोगों ने ढ़ेर सारा प्यार दिया. ऐसा लगता है कि आजकल लोग दिखावा या ड्रैमेटिक इमैजिनेशन में नहीं जीना चाहते हैं. लोग असलियत देखना चाहते हैं. और खुद के जीवन को पर्दे पर देखना चाहते हैं. ना कि दिखावे की जिंदगी.
कम बजट में बनती है अच्छी और उम्दा फिल्में
आपको बताये कि आजकल कम बजट में बहुत अच्छी और उम्दा फिल्में बन रही है. फिल्मों के बजट कम होने से फिल्म के निर्माता और निर्देशकों पर कमाई का प्रेशर नहीं होता है. जिसकी वजह से ये लोग नई चीजों को ट्राई करने से डरते नहीं है. और लोगों को नई-नई बिषयों पर अच्छी फिल्में देखने के मिलती है.
घिसी-पिटी फॉर्मेट की वजह से लोगों ने बनाई बॉलीवुड से दूरी
2023 के आते-आते लोग अब बॉलीवुड की फिल्मों को देखना पसंद नहीं करते हैं. और लोग कुछ नई कहानी, कुछ नए लोगों को पर्दे पर देखना पसंद कर रहे हैं. बॉलीवुड को अब चाहिए कि अपने घिसी-पिटी फॉर्मेट को बदलकर कुछ नया करें ताकि लोग बॉलीवुड की तरह फिर से लौट कर आएं.
रिपोर्ट- प्रियंका कुमारी