Ranchi- एक तरफ राजधानी रांची में इस बात की खबर आग की तरफ फैली हुई है कि सीएम हेमंत जल्द अपना इस्तीफे सौंप कर राज्य कमान किसी और को सौंप सकते हैं, लेकिन इन तमाम कयासों पर विराम लगाने की कवायद करते हुए कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने दावा किया है कि हेमंत सोरेन सीएम थें, सीएम हैं और आगे भी रहेंगे. प्रदीप यादव के इस बयान के कई सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं, और उसके पीछे की रणनीति को समझने की कोशिश की जा रही है.
अम्बा प्रसाद के बयान से ठीक उलट है प्रदीप यादव का बयान
ध्यान रहे कि इसके पहले कांग्रेस विधायक दल की समाप्ति के बाद पार्टी और सरकार में सब कुछ सामान्य होने का दावा करते हुए प्रदेश प्रभारी और अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने झामुमो के साथ मजबूती के साथ खड़ा रहने का संकल्प दुहराया था. लेकिन बडकागांव विधायक अम्बा प्रसाद ने सीएम के चेहरे में बदलाव का संकेत भी दिया था, जिसके बाद इस बात पर बहस तेज हो गयी थी कि अब राज्य की कमान किसके हाथ में होगी. लेकिन अब तो खबर आ रही है, और कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने जिस तरीके से सीएम हेमंत को ही सीएम रहने का दावा किया है, उसके बाद स्थिति उलझती नजर आ रही है. सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या अब सीएम हेमंत अपना इस्तीफा नहीं सौंप कर अपनी गिरफ्तारी का इंतजार करेंगे, ताकि उनके समर्थकों के बीच यह संदेश जाये कि भाजपा ने अपनी एजेंसियों का दुरुपयोग कर एक निर्वाचित सरकार को बेदखल किया है, और फिर इस सहानुभूति के लहर पर सवार होकर 2024 के महासंग्राम में कूदा जाय. हालांकि प्रदीप यादव के इस दावे के बाद झामुमो की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आया है, लेकिन इतना तय है कि महागठबंधन की इस बैठक में कई बड़े फैसले लिये गये हैं, और एक साथ कई सियासी मोर्चा खोलने की रणनीति बनायी गयी है. जिसका पर्दाभाश शायद अभी महागठबंधन नहीं करना चाहता. इस हालत में यह देखना होगा कि राज्यपाल के झारखंड आगवन के बाद महागठबंधन का क्या रुख रहता है, बहुत संभव है कि राज्यपाल जब झारखंड में मौजूद होंगे तब ही इसकी घोषणा कर सियासी बम फोड़ा जायेगा, हालांकि सवाल अभी भी बना हुआ है कि सीएम हेमंत के बाद राज्य का मुखिया कौन होगा.
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