TNP DESK : मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ (‘One Nation-One Election’) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. करीब एक साल के विचार-विमर्श के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी है. यह प्रस्ताव देश में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने पर केंद्रित है. इसका उद्देश्य संसाधनों की बचत, विकास में तेजी लाना और लोकतंत्र को मजबूत करना है. आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव की संभावनाओं पर अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया है.
एक राष्ट्र-एक चुनाव से क्या लाभ होगा?
केंद्रीय मंत्रिमंडल के स्वीकृति के विषय में जानिए
केंद्र की मोदी सरकार ने कहा कि किस्मत की है कि देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाएं, ताकि चुनाव में होने वाले खर्च कम हो सके. भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहां लोकसभा का चुनाव होता है विधानसभा का चुनाव भी कराया जाता है. संघीय शासन व्यवस्था में दोनों का अपना-अपना स्थान है. कैबिनेट की बैठक के बारे में बताते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव में पत्रकारों को बताया कि 1951 से लेकर 1967 तक एक साथ चुनाव होते रहे हैं. उसके बाद से इसमें अलग-अलग चुनाव होने लगे.उन्होंने कहा कि लॉ कमीशन की रिपोर्ट में भी वन नेशन, वन इलेक्शन यानी एक राष्ट्र और एक चुनाव की अनुशंसा की गई थी. यह अनुशंसा 1999 में आई थी.पूरे देश में एक साथ चुनाव होने से सरकारी खर्च भी काम होगा और समय भी बचेगा.इसका देश के विकास पर अच्छा असर पड़ेगा.
रेल मंत्री ने आगे यह भी कहा कि अधिकांश राजनीतिक दल लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने के पक्ष में दिख रहे हैं. इस संबंध में अन्य हित धारकों से भी विचार विमर्श किया जाएगा.
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