रांची(RANCHI): बाबूलाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा की ओर से संकल्प यात्रा की शुरुआत की गई. संकल्प यात्रा के नौ चरण में बाबूलाल मरांडी झारखंड के 81 विधानसभा तक पहुंच कर सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरा है. अब इस यात्रा का समापन रांची के हरमू मैदान में भव्य कार्यक्रम कर किया जा रहा है. इस समापन समारोह में खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शरीक हो रहे. इससे यह साफ है कि 2024 के चुनावों मैदान में भाजपा कूद पड़ी है.
भर्ष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरेंगे राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी नड्डा
राज्य में वर्तमान में केंद्रीय ऐजेंसी की दबिश जारी है. इसकी रडार पर सूबे के मुखिया से लेकर कई बड़े अधिकारी है. इस मुद्दे को भी भाजपा पूरी तरह से भुनाने में लगी. ऐसे समय में शराब घोटाला, जमीन घोटाला का मामला सामने आया जब लोकसभा और विधानसभा का चुनाव सर पर. यह एक बड़ा मुद्दा भाजपा को मिला है. जब बाबूलाल मरांडी विभिन्न क्षेत्र में संकल्प यात्रा में पहुंचे तो वह सीधे मुख्यमंत्री पर हमलावर दिखे है. और उम्मीद है कि जब समापन समारोह में राष्ट्रीय अध्यक्ष मंच से संबोधित करेंगे तो राज्य सरकार पर भर्ष्टाचार के मुद्दे पर घेरते हुए दिखेंगे. इसके साथ ही बंगलादेश घुसपैठ का मामला भी झारखंड में गर्म है. इस मुद्दे पर भी सरकार पर सवाल उठा सकते है.
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बाबूलाल को आगे कर चुनावी मैदान में कुदेगी भाजपा
संकल्प यात्रा में एक बात स्पष्ठ हो गया है कि बाबूलाल मरांडी को फिर से आगे कर भाजपा चुनावी रण में कुदेगी, क्योंकि झारखंड में आदिवासी समुदाय को झामुमो अपना वोट बैंक मान कर चलती है. लेकिन बाबूलाल के आने के बाद आदिवासी वोट के बिखरने की बात कही जा रहा है. अगर बाबूलाल मरांडी आदिवासी वोट में सेंध लगाने में कामयाब होते है तो इसका नुकसान सीधे तौर पर झामुमो को होगा और फायदा सीधे भाजपा को जाएगा.
आदिवासी और ओबीसी वोटर पर भाजपा की नजर
इसके साथ ही झारखंड में लंबे समय के बाद नेता प्रतिपक्ष और सचेतक भाजपा में नियुक्त किया है. इसमें अमर बाउरी आदिवासी और जेपी पटेल ओबीसी से आते है. तो साफ है कि चुनाव में भाजपा की नज़र ओबीसी और आदिवासी मतदाता पर ज्यादा है. तो वहीं बात जनरल की करे तो जनरल वोट पहले से ही भाजपा के कोर वोटर माने जाते है.
भाजपा पर लगता है बाहरी मुख्यमंत्री बनाने का आरोप
बात अगर रघुवर दास की करे तो भाजपा ने उन्हें झारखंड की राजनीति से बाहर का रास्ता दिखाते हुए ओड़िशा का राज्यपाल बना दिया है. लेकिन इसके पीछे एक बड़ी वजह है शुरू से भाजपा पर बाहरी मुख्यमंत्री बनाने का आरोप विपक्ष लगाता था. इसका नुकसान भी भाजपा को उठाना पड़ा लेकिन अब भाजपा झारखंड की नब्ज पकड़ चुकी है और पूरी तरह से आदिवासी ओबीसी को आगे कर बैटिंग करने की तैयारी में है.
रिपोर्ट. समीर हुसैन
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