जानिए तीर्थस्थल रामेश्वरम नाम के पीछे की पूरी कहानी, ऐसे हुई थी मंदिर की स्थापना
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टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : रामेश्वरम एक ऐसा तीर्थस्थल है जहां की मान्यता काफी ज्यादा है. जितनी इसकी मान्यता है उतनी ही इसकी खूबसूरती भी है. यह बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है. ये तीर्थस्थल भारत के निचली हिस्से में शंख के आकार के पंबन द्वीप में स्थित है. तमिलनाडु में रामेश्वरम, एक ऐसा शहर है जो 2 किमी लंबे पंबन पुल द्वारा भारतीय मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है. ये जगह श्री रामनाथ स्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि इसे राजा मुथुरामलिंगा सेतुपति ने बनवाया था. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस मंदिर का गलियारा भारत के सभी हिंदू मंदिरों में सबसे लंबा है. यही वजह है कि लोग यहाँ दूर-दूर से दर्शन करने पहुंचते है. यहाँ सालों भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है.
तीर्थम से निकलने वाले पानी में चमत्कार
रामेश्वरम मंदिर के अंदर 22 तीर्थ हैं जिनमें से सबसे पहले तीर्थ को अग्नि तीर्थ कहा जाता है. अग्नि तीर्थ के बारे में ऐसी मान्यताएं प्रचलित है कि जो भी भक्त इस स्थान पर स्नान करता है उसके सभी पाप धुल जाते हैं. यहाँ के तीर्थम से निकलने वाला पानी अपने साथ चमत्कारिक गुण लिए हुए है. जिसके एक दर्शन के लिए लाखों की भीड़ लगती है.
रामेश्वरम का नाम रामेश्वरम क्यों पड़ा?
रामेश्वरम का नाम रामेश्वरम रखने के पीछे एक बहुत ही सुंदर कहानी हैं. भगवान राम ने श्रीलंका से वापस लौटते महादेव की यह स्थान पर पूजा की थी. उसके कारन उसका नाम रामेश्वर मंदिर और रामेश्वर द्वीप पड़ा है. मान्यता के मुताबिक रावण का वध करने के बाद भगवान राम देवी सीता के साथ रामेश्वरम के तट पर से भारत लौटे थे. ब्राह्मण को मारने के दोष को खत्म करने के लिए श्री राम शिव की पूजा करना चाहते थे. वहा कोई मंदिर नहीं था, इसलिए शिव जी की मूर्ति लाने हनुमान जी को कैलाश पर्वत भेजा था. जिसके बाद इस पूजा स्थल का नाम रामेश्वरम पड़ गया.
राम द्वारा स्थापित किए गए मंदिर
रामेश्वरम में स्थित मंदिर, शैवों, वैष्णवों और समर्थों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है,पौराणिक वृत्तांतों में रामनाथस्वामी (शिव) के पीठासीन देवता, लिंगम को दर्शाया गया है, जिसे राम द्वारा स्थापित किया गया था और उनकी पूजा की गई थी
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