धनबाद(DHANBAD): पूर्वी झरिया में घटना के पहले तो कायदे कानून की धज्जियां उड़ ही रही थी, घटना के बाद भी कानून को मजाक बना देने का आरोप है. पुलिस की मौजूदगी में लाश लोग ले जा रहे थे लेकिन पुलिस ने लाश को जब्त नहीं किया. इस बार कोयला के अवैध उत्खनन कराने वाले सिंडिकेट को लाशों को ठिकाने लगाने का वक्त नहीं मिला. परिजन पहुंच गए और हंगामा शुरू हो गया. हजारों आंखों के सामने यह सब घटना घटी. पुलिस भी मूकदर्शक बनी रही. यहां तक की लाशों का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया लेकिन उनका पोस्टमार्टम नहीं कराया गया. यह सवाल ऐसे हैं जिसका जवाब आज नहीं तो कल एजेंसियों को देना ही होगा.
पुलिस चाहे कुछ भी कर ले लेकिन लाश जब्त नहीं करने को लेकर वह उलझती दिख रही है. एक और बड़ा सवाल इस घटना ने खड़ा किया है कि सभी कह रहे हैं कि अवैध उत्खनन नहीं होता है, लेकिन इस घटना में पहली बार किसी पीड़ित परिवार को मुआवजा की राशि मिली है. घायल को भी इलाज के लिए सहायता राशि दी गई है. लेकिन भुगतान करने वाला सामने नहीं आ रहा है .बीसीसीएल प्रबंधन, आउटसोर्सिंग कंपनी के अधिकारी या कोयला माफिया सामने नहीं आ रहे हैं. यह नहीं बता रहे हैं कि मुआवजा अगर दिया गया है तो किस नियम और शर्तों के अनुसार दिया गया है.
यह हादसा पूरी व्यवस्था की खोल रहा पोल
दरअसल यह हादसा पूरी व्यवस्था की पोल खोल कर रख दिया है. यहां कोयला तस्कर सिंडिकेट के लोग चाहकर भी शव को गायब नहीं करा सके. बच्चे का शव इंसाफ मांगने बीसीसीएल प्रबंधन के कार्यालय पहुंच गया. इस बार मृतक के परिजन भागे नहीं बल्कि सीना तान कर खड़े रहे. सवालों पर चुप्पी नहीं साधी, तस्करों के नाम भी बताएं. इतना सब होता रहा और बीसीसीएल प्रबंधन और पुलिस प्रशासन चुपचाप खड़ा रहा. यह बात भी सच है कि सबूत इतने पुख्ता और जीवंत है कि इस बार कोई यह नहीं कह सकता है कि कौन मरा, कहां हो रहा था अवैध उत्खनन, कोई परिजन क्यों नहीं सामने आ रहे हैं. इन सब सवालों का जवाब भी इस घटना ने दिया है. यह बात अलग है कि सभी कहेंगे की जांच होगी और रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी. लेकिन सबूत और तस्वीर इतने जीवन है कि तत्काल अवैध उत्खनन में लगे माफिया तंत्र पर कार्रवाई की जरूरत है.
आखिर मुआवजा की राशि किस फंड से दी गई
सवाल यह भी उठता है कि आखिर मुआवजा की राशि किस फंड से दी गई. अगर बीसीसीएल मैनेजमेंट ने दिया है तो उसके पास अवैध खनन में मरने वालों को भुगतान के लिए राशि कहां से आई. अगर कोई माफिया भुगतान किया है तो वह सामने क्यों नहीं आ रहा. क्या यह माना जाना चाहिए कि यह राशि कोयले के अवैध खनन में लगे सिंडिकेट के लोगों ने दूसरे माध्यमों से पीड़ित परिवार तक पहुंचाया है. धनबाद से लेकर रांची तक इस घटना की चर्चा तेज है. देखना है इस बार सबूत बता रहे हैं कि घटना घटी है और कोयले का अवैध उत्खनन होता रहा है. फिलहाल सबूत खोजने की जरूरत नहीं है. बयान लेने की जरूरत नहीं है. मृतक और घायलों के परिजन डटे हुए हैं. कह रहे हैं कि 500 से ₹600 प्रतिदिन देकर अवैध उत्खनन सिंडिकेट करा रहा है.
बिना पोस्टमार्टम कराए दाह संस्कार कैसे करा दिया गया
बीसीसीएल प्रबंधन यह कह सकता है कि मृतक और घायल लोग कोयला चुनने आए थे, तो फिर सवाल उठता है कि मुआवजा राशि की भुगतान कैसे और क्यों की गई. पुलिस से सवाल होंगे कि अपने सामने लाश को क्यों जाने दिया. लाश जब्त क्यों नहीं की गई. बिना पोस्टमार्टम कराए दाह संस्कार कैसे करा दिया गया. इस घटना से उठ रहे सवालों से कई एजेंसियां घिरेंगी, इसमें कोई संदेह नहीं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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