रांची : लोकसभा चुनाव के दौरान कई ऐसी पार्टियां होती है जो चुनाव लड़ती है, जबकि कई ऐसी भी पार्टियां हैं जो किसी दल या व्यक्ति विशेष को समर्थन भी करती है. झारखंड में भी कई ऐसी पार्टियां हैं जो चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवार की घोषणा करती है, उसमें कुछ जीत कर संसद पहुंचते हैं और कुछ को हार का नसीब होता है. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद सुबे में अभी तक चार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं इनमें कई पार्टियों ने जीत का परचम फहराया है. कई ऐसे भी दल हैं जिनका बीते चार लोकसभा चुनाव में अभी तक खाता भी नहीं खुला है.
पांच प्रतिशत से भी कम वोट
झारखंड में सैंकड़ों प्रत्याशी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पार्टियों से चुनाव लड़ते हैं. चुनाव में इनकी भागीदारी तो होती है, लेकिन कभी इनका खाता नहीं खुला है. बहुजन समाज पार्टी की बात करें तो ये पार्टी पिछले चार चुनाव में राज्य के सभी सीटों पर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा लेकिन कभी जीत नहीं पायी. साथ इनका वोट बैंक भी घट रहा है. झारखंड में अपनी किस्मत आजमाने वाली पार्टियों को पांच प्रतिशत भी वोट नहीं मिल पाया है. जिसके वजह से कई पार्टियों के प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई.
झारखंड में इन पार्टियों को मिला सबसे कम वोट
बीते चार लोकसभा चुनाव में कई पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा उसमें कुछ पार्टियों को पांच फीसदी से भी कम मत मिले. 2004 के चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, राजद, झामुमो के अलावा बसपा, माकपा, माले, जदयू, सपा, जेकेपी, एलजेएनएसपी ने विभिन्न लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा, लेकिन इन्हें चार प्रतिशत से भी कम मत मिले. लोकसभा चुनाव 2009 में बसपा, माले और जदयू को चार प्रतिशत से कम वोट मिले. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा, आप, टीएमसी, जदयू और माले को तीन प्रतिशत से भी कम मत मिला. वहीं 2019 के चुनाव में बसपा, आप, टीएमसी, माले और माकपा को चार प्रतिशत मत मिले. पिछले चारों चुनाव में हर बार बसपा ने 14 सीटों पर चुनाव लड़ीं, लेकिन कभी भी एक सीट बसपा नहीं जीत पाई. देखना होगा कि आने वाले चुनाव में कौन सी पार्टी चुनाव जीतती है.
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