रांची(RANCHI): ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. आलमगीर आलम की गिरफ़्तारी के बाद से ही मंत्री पद कब छोड़ेंगे इसकी चर्चा थी. अब इस सवाल पर विराम लग गया है. मंत्री आलमगीर आलम ने अपना इस्तीफा राजभवन को भेज दिया है.मालूम हो की ग्रामीण विकास विभाग और संसदीय कार्य विभाग की जिम्मेवारी आलमगीर आलम के पास थी. अब यह दोनो विभाग खाली हो गया है. इस इस्तीफे से साफ हो गया है कि केजरीवाल,मनीष सीसोदिया के तरह जेल से कार्यभार नहीं चलाएंगे.
दरअसल कांग्रेस में एक बड़े कद के नेता के तौर पर आलमगीर की जगह थी. यही वजह है कि पिछली हेमंत सरकार से लेकर चंपाई सरकार दोनो में मंत्री पद मिलने में सबसे भरोसे मंद आलाकमान को दिखे थे. चंपाई सरकार में जब मंत्री पद लेने के लिए कांग्रेसी विधायकों में होड लगी हुई थी. उस समय भी सबसे पहले मंत्री पद के लिए आलमगीर को चुना गया था. मंत्री के साथ साथ कांग्रेस विधायक दल के नेता भी आलमगीर आलम थे.लेकिन इन सब पर 35 करोड़ रुपये भारी पड़ गया. जेल जाने के साथ साथ मंत्री पद से भी हाथ धोना पड़ गया.
चुनाव के समय ही आलमगीर आलम के निजी सहायक से जुड़े ठिकानों पर 35 करोड़ रुपये बरामद हुए. जिससे पार्टी की खूब किरकिरी हुई. साथ ही विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया. यह सब के बीच ही आलमगीर का नाम भी पैसे में जुड़ा और आखिर कार 19 घंटे की पूछताछ में उनकी गिरफ़्तारी हो गई. विपक्ष के सवालों का कांग्रेस के पास जवाब नहीं था. साथ ही गिरफ़्तारी के बाद इस्तीफे की मांग उठने लगी थी. आखिर में आलाकमान ने इस्तीफा का दबाव बनाया और आलमगीर ने अपना इस्तीफा राजभवन को भेज दिया है.
मालूम हो की आलमगीर आलम की गिरफ़्तारी बुधवार को हुई है. टेंडर कमीशन के मामले में लिंक जुड़ा और ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद अब रिमांड पर लेकर पूछताछ का दौर जारी है. इस पूछताछ में कई जानकारी ईडी को मिलने वाली है. जिसके बाद राज्य में बड़ी कार्रवाई ईडी की दिख सकती है.
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