रांची (RANCHI) : झारखंड में लोकसभा चुनाव के रण में बीजेपी और इंडिया गठबंधन स्टार प्रचारकों के माध्यम से कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. राज्य में पीएम मोदी, राहुल गांधी से लेकर तमाम बड़े नेता जनसभा कर रहे हैं. खूंटी के कचहरी मैदान में आयोजित जनसभा को गृहमंत्री अमित शाह ने संबोधित किया. वो भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा के समर्थन में लोगों से वोट की अपील की. वहीं झारखंड में कल पहले चरण का शोर थम जायेगा. बता दें कि खूंटी संसदीय क्षेत्र एसटी के रिजर्व है. यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी के अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के बीच है. दोनों ही दलों के प्रत्याशी अन्य उम्मीदवार भी चुनावी प्रचार में जोर-शोर से जुटे हुए हैं.
खूंटी से सात उम्मीदवार ही मैदान में
खूंटी संसदीय क्षेत्र से कुल 16 लोगों ने नामांकन किया था, जिसमें नौ प्रत्याशियों का नामांकन रद्द कर दिया गया. इसके बाद अब सिर्फ सात उम्मीदवार ही मैदान में रह गए हैं. जिनमें भाजपा के अर्जुन मुंडा, कांग्रेस के कालीचरण मुंडा, झारखंड पार्टी की अर्पणा हंस, भारत आदिवासी पार्टी की बबीता कच्छप, बहुजन समाज पार्टी की सावित्री देवी, निर्दलीय उम्मीदवार बसंत कुमार लोंगा और पास्टर संजय कुमार तिर्की शामिल हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में ही होगा. दोनों ही पार्टी अपने पुराने प्रत्याशी कालीचरण मुंडा और अर्जुन मुंडा पर दांव खेला है. वैसे झारखंड पार्टी ने अपर्णा हंस को मैदान में उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
पिछले चुनाव 2019 की बात करें तो खूंटी से अर्जुन मुंडा को मात्र 1445 वोटों से जीत मिली थी. उस समय मुकाबला काफी रोचक था. मजेदार बात यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में नोटा ने भी अहम भूमिका निभाई थी. करीब 21 हजार 245 मतदाताओं ने नोटा के बटन को दबाया था. जो तीसरे स्थान पर था. वहीं कुल नौ प्रत्याशियों पर नोटा भारी पड़ गया था. इस चुनाव में बीजेपी के अर्जुन मुंडा को 382,638 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के कालीचरण को 381193 मत मिले थे. 2019 में कुल 11 उम्मीदवार मैदान में था इसबार कुल सात प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत को अजमा रहे हैं.
क्या है स्थानीय मुद्दा?
अमित शाह ने खूंटी में जिस अंदाज में जनसभा को संबोधित किया और जो उपलब्धियां गिनाए उससे यहां की जनता पर शायद ही कोई फर्क पड़ेगा. क्योंकि यहां जो स्थानीय मुद्दा है उसका कोई जिक्र ही नहीं हुआ. खूंटी संसदीय क्षेत्र में सरना धर्म कोड, वनोपज, वन भूमि, रोजगार, शिक्षा, बेरोजगारी, पलायन, पेयजल मूल समस्या है. यह इलाका आज भी नक्सल प्रभावित है. सरकारी तंत्र द्वारा समस्याओं को दूर करने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए, इसके बावजूद क्षेत्र की समस्या दूर नहीं हुई.
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