रांची (RANCHI) : झारखंड में 13 मई से मतदान का आगाज होगा. राज्य में चार चरणों में वोटिंग संपन्न होगी. झारखंड के पहले चरण में खूंटी, लोहरदगा, सिंहभूम और पलामू में वोट डाले जाएंगे. पहले चरण में होने वाले मतदान से पहले बड़े-बड़े दिग्गजों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. पीएम मोदी ने भी झारखंड में चुनावी बिगुल फूंक दिया है. इसके बाद राहुल गांधी आने वाले हैं. वे भी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदाताओं से वोट की अपील करेंगे.
पहले चरण में होने वाले मतदान से पहले सभी की नजरें लोहरदगा सीट पर टिक गई है. यहां कुछ दिन पहले तक एनडीए और इंडिया के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही थी, लेकिन झामुमो के बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा के मैदान उतरने से मुकाबला और रोचक हो गया है. यहां पर भाजपा के समीर उरांव और कांग्रेस के सुखदेव भगत के बीच पहले मुकाबला था. झामुमो के बागी उम्मीदवार चमरा लिंडा के आने से अब त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.
चमरा लिंडा ने कैसे बिगाड़ा इंडिया गठबंधन का खेल
लोहरदगा में चमरा लिंडा के मैदान में उतरने से इंडिया गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत का खेल बिगड़ सकता है. पूर्व के चुनाव परिणाम को देखेंगे तो पता चलेगा कि चमरा को कितना वोट मिला था. चमरा लिंडा तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, इस बार चौथी बार अपनी किस्मत अजमा रहे हैं. हालांकिन इन तीनों चुनाव में एक बार भी संसद नहीं पहुंचे पाये, लेकिन विरोधियों को कड़ी टक्कर दी थी. 2019 के चुनाव में चमरा नहीं उतरे थे. उस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई थी. कांटे के मुकाबले में बीजेपी प्रत्याशी सुदर्शन भगत ने कांग्रेस के सुखदेव भगत को करीब दस हजार वोट से हराया था. यह मुकाबला काफी रोचक भी था. 2014 में टीएमसी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके चमरा लिंडा को 118,355 वोट मिला था. 18.17 प्रतिशत वोट पाकर वे तीसरे स्थान पर रहे. उस चुनाव में भी कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ था. कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. रामेश्वर उरांव को 220,177 मत मिले थे और भाजपा के सुदर्शन भगत ने करीब छह हजार वोटों से हराया था. अगर चमरा चुनाव नहीं लड़ते तो कांग्रेस प्रत्याशी भारी बहुमत से जीत जाते. 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा दूसरे स्थान पर थे और कांग्रेस के रामेश्वर उरांव तीसरे स्थान पर रहे. उस चुनाव में चमरा को 136,345 वोट मिला था. जबकि कांग्रेस के रामेश्वर उरांव 129,622 मत मिला था. 2009 के चुनाव में सुदर्शन भगत ने 144,628 वोट पाकर विजयी हुई. यह चुनाव भी काफी कांटे का मुकाबला था. कुल मिलाकर कहा जाए तो जब-जब चमरा लिंडा लोहरदगा सीट से चुनावी मैदान में उतरे तब-तब कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ.
झामुमो नहीं कर रहा कोई कार्रवाई
बता दें कि जब कांग्रेस ने लोहरदगा से सुखदेव भगत को टिकट दिया तो झामुमो ने कहा था कि जब आपने उम्मीदवार उतार ही दिया है तो चुनाव में आपको अपने बुते ही जीतना होगा. हालांकि ये बात उस समय की थी. इसके कुछ दिन के बाद ही चमरा लिंडा ने मैदान में उतरने के लिए ताल ठोक दिया था. तब झामुमो ने अपने वरिष्ठ नेता को चमरा के भेजा था कि आप चुनाव नहीं लड़े, लेकिन वे नहीं माने. इसके बाद झामुमो ने कहा था कि अगर चमरा लिंडा चुनाव लडेंगे तो गठबंधन धर्म का उल्लंघन होगा और उनपर कार्रवाई होगी. लेकिन पार्टी की ओर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि उन्हें स्टार प्रचारक की सूची में शामिल किया है. वहीं कांग्रेस जेएमएम पर चमरा लिंडा के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग कर रही है. हालांकि चमरा लिंडा ने दावा करते हुए कहा कि उनका मुकाबला कांग्रेस से नहीं भाजपा से है. दो दिन पहले ही चमरा लिंडा ने चुनावी जनसभा को संबोधित किया था. उस समय उनके जनसभा में लाखों की भीड़ देखी गई. इस भीड़ को देख बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के हाथ पांव फूलने लगे हैं. हालांकि इंडिया गठबंधन के सभी नेता और कार्यकर्ता सुखदेव भगत के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं. जगह-जगह जनसभा कर रहे हैं और डोर-टू-डोर कैंपेन चलाकर मतदाताओं से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत के पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं.
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