धनबाद(DHANBAD) : धनबाद की टुंडी सीट आजसू के खाते में नहीं गई है. मतलब साफ है कि सुदेश महतो सिल्ली के अलावा टुंडी से चुनाव नहीं लड़ेंगे. अब यहां भाजपा का कोई प्रत्याशी होगा. इंडिया गठबंधन की ओर से मथुरा महतो ही प्रत्याशी होंगे. टुंडी सीट कई मामलों में महत्वपूर्ण है. झामुमो में सुप्रीमो शिबू सोरेन सबसे पहले टुंडी से ही चुनाव लड़ा था. लेकिन हार मिलने की वजह से वह दुमका शिफ्ट कर गए और दुमका में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार की. टुंडी सीट पर किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहता है. तीन विधानसभा चुनाव के आंकड़े पर गौर करें तो 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के मथुरा महतो यहां चुनाव जीते. तो 2014 में आजसू के टिकट पर राज किशोर महतो विजई रहे.
फिर 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर मथुरा महतो चुनाव जीते. धनबाद जिले का टुंडी ही एक ऐसा सीट है, जिस पर फिलहाल झामुमो का कब्जा है. शेष 5 सीटों में चार पर भाजपा का कब्जा है तो एक सीट कांग्रेस के खाते में रही. निरसा, सिंदरी, धनबाद और बाघमारा पर भाजपा की जीत हुई थी. जबकि झरिया सीट कांग्रेस की झोली में गई थी. निरसा सीट पर पहली बार भगवा ने परचम लहराया. फारवर्ड ब्लाक छोड़कर भाजपा में आई अपर्णा सेन गुप्ता को भाजपा में उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीत गई. धनबाद का निरसा और सिंदरी सीट पर लाल झंडे का कब्जा रहता था. लेकिन अब परिस्थितिया बदल गई है.
2019 में भाजपा के इंद्रजीत महतो सिंदरी सीट पर चुनाव में विजयी हुए. झारखंड मुक्ति मोर्चा के फूलचंद मंडल को हराकर उन्होंने सीट हासिल की थी. सिंदरी सीट कई मायने में महत्वपूर्ण है. यहां से राजनीतिक संत एके राय दो बार के विधायक रहे, जबकि उनकी पार्टी के आनंद महतो चार बार सिंदरी से विधायक रहे. 2014 में भाजपा के टिकट पर सिंदरी से फूलचंद मंडल विधायक थे. लेकिन 2019 में इंद्रजीत महतो ने भाजपा की टिकट झटक ली तो फूलचंद मंडल झारखंड मुक्ति मोर्चा में चले गए और झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए. इस बार भाजपा बीमार विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी को टिकट दे सकती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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