टीएनपी डेस्क(TNP DESK):शादियों का सीजन चल रहा है रोजाना सैकड़ों लोगों की शादी हो रही है. हिंदू रीति रिवाज से जिन लोगों की शादी होती है तो शादी के समय 7 बार वर वधु की मांग में सिंदूर भरता है. जिसके बाद पूरी जिंदगी जब तक महिला सुहागन रहती है, तब तक वो मांग में सिंदूर भरती है. आप लोगों ने भी महिलाओं को मांग में सिंदूर भरा हुआ. लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे धार्मिक और साइंटिफिक रीजन क्या है. आज हम आपको बताते हैं कि सिंदूर लगाने का महत्व और वजह.
सिंदूर लगाने से माता पार्वती अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं
आपको बता दें कि विवाहित महिलाओं के मांग में सिंदूर भरने उनकी खूबसूरती बढ़ती है. साथ ही पौराणिक कथाओं के अनुसार सिंदूर का लाल रंग मां पार्वती और माता सती की ऊर्जा को व्यक्त करता है. सिंदूर लगाने से माता पार्वती अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं.
सिंदूर में पारा धातु होता है जिससे विधुत ऊर्जा को कंट्रोल होता
धार्मिक के पीछे सिंदूर लगाने का साइंटिफिक रीजन भी है. इसके मुताबिक सिंदूर में पारा धातु होता है. जिसको लगाने से शरीर में विधुत ऊर्जा कंट्रोल होता है. जिससे नेगेटीव एनर्जी दूर रहती है. मांग में भरने से अनिद्रा, सिर में दर्द, और मस्तिष्क से जुड़ा कोई भी रोग नहीं होता है. इसलिए महिलाओं को विवाह के बाद सिंदूर लगाना चाहिए.
क्यों बीच मांग में लगाना चाहिए सिंदूर
बहुत सारी महिलाएं सिंदूर बीच मांग में नहीं लगाकर साईड में लगाती है. लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को बीच मांग में ही सिंदूर लगाना चाहिए. पत्नी के बीच मांग सिंदूर लगाने उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं होती है. हिंदू धर्म में नवरात्र और दीवाली पर पति को अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर लगाना शुभ होता है.
रिपोर्ट-प्रियंका कुमारी
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