टीएनपी डेस्क (TNP DESK): हिंदू धर्म में यज्ञ की पुरानी परंपरा रही है. देवी-देवताओं के समय में भी ऋषि मुनि यज्ञ किया करते थे, क्योंकि यज्ञ ही बुराई को खत्म करने और देवताओं का प्रशन्न करने का एकमात्र हल है. वहीं आज भी लोग किसी भी विशेष अवसर पर पूजा में हवन करते हैं और आहुति देते हैं. वही आहुति देते समय लोग जितनी बार आहुति आग्नि में डालते हैं. उतनी बार स्वाहा कहते हैं, तो आज हम आपको स्वाहा का अर्थ बताएंगे, कि आखिर यज्ञ के समय आहुति देने में स्वाहा का प्रयोग क्यों किया जाता है.
यज्ञ में आहुति देते हुए क्यों कहा जाता है स्वाहा
यज्ञ में आहुति देते समय स्वाहा जरूर बोला जाता है, आपको बतायें कि धर्म ग्रंथो में कई विशाल यज्ञों के बारे में बताया गया है, इसलिए पुरातन समय में राजा-महाराजा और ब्राह्मण हर दिन यज्ञ किया करते थे. जिसको आज भी हिंदु धर्म के लोग करते हैं. किसी भी शुभ कार्य से पहले जैसे गृह प्रवेश, शादी विवाह के समय यज्ञ जरूर किया जाता है. यज्ञ के समय स्वाहा शब्द का प्रयोग क्यों किया जाता है इसके पीछे एक वजह है वो आज हम आपको बताने जा रहे है.
जानें इसके पीछे की रोचक वजह
परंपरा के अनुसार जब भी यज्ञ होता है, तो उसमें कई चीजों को मिलाकर समिधा नाम का मिश्रण तैयार किया जाता है . इसको अग्नि में डालते समय स्वाहा बोला जाता है. ग्रंथों के अनुसार स्वाहा राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री हैं, जिनका विवाह अग्निदेव के साथ हुआ है. आहुति देते समय पत्नी का नाम बोलने पर ही अग्निदेव आहुति को स्वीकार करते हैं. जिसको बोलना जरुरी होता है. वहीं आपको बता दें कि सामान्य रूप से स्वाहा का अर्थ भस्म होना है, यानी जो आहुति अग्नि में डाली जाती है, उसे स्वाहा और अग्निदेव मिलकर भस्म कर देते है. जिससे बुराइयों का अंत होता है.
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