टीएनपी डेस्क(TNP DESK):22 जनवरी का दिन इतिहास के पन्नों पर अमर हो गया. ये वहीं शुभ दिन है जिस दिन रामलला तेत्रायुग के बाद दुबारा धरती पर लौट कर वापस आये. इस दिन के लिए सभी सनातनी लोगों की आंखें तरस रही थी, लेकिन लंबे इंतजार के बाद पुरुषोत्तम श्रीराम ने सभी की भक्ति भाव को देखते हुए दर्शन दिया.अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमी पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए राम भक्तों ने कई बार लाठियां खाई, जेल की हवा खाई, कितने सालों तक परिश्रम किया, तब जाकर अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो पाया, लेकिन प्रभु के पांच साल के बाल रुप को देखकर राम भक्तों ने सारे संघर्ष भुला दिये, और पलकें बिछाकर भगवान के स्वागत में लग गये.जब प्रभु अयोध्या वापस आये इस दिन के गवाह देश के साथ कई विदेशी देश भी बने.
रामलला के मूर्ती निर्माण के दौरान कई हैरान करनेवाले चमत्कार हुए
वहीं इस राम मंदिर और रामलला के मूर्ती निर्माण के दौरान कई हैरान करनेवाले चमत्कार हुए, जिस पर विश्वास करना लोगों के लिए मुश्किल हो गया.रामलला की मूर्ती निर्माण करनेवाले मूर्तीकार अरुण योगीराज की पांच पुश्त मूर्तीकारी रही है. अरुण योगीराज ने ही कृष्णशिला से करीब सात महीनों में पत्थर को तराश कर रामलला का दिव्य रुप तैयार किया, लेकिन इन सात महीनों में उनके साथ कई ऐसे दिव्य चमत्कार हुए जिसको उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद साझा किया.
एक बंदर रोजाना आता था, और चुपचाप रामलला के मूर्ती को बड़े भक्ति भाव से निहारता था
पहला चमत्कार में मूर्तीकार अरुण योगीराज ने बताया कि वो हर दिन करीब आठ घंटे रामलला की मूर्ती बनाने में लगाते थे. रोजाना पूरे नियम धर्म के साथ मूर्ती बनाते थे, इस दौरान पहले दिन से ही एक बंदर रोजाना उनके पास आता था, और चुपचाप रामलला के मूर्ती को बड़े भक्ति भाव से निहारता था, पहले दिन, तो अरुण योगीराज ने समझा कि शायद ये ऐसे ही आया होगा, लेकिन जब बंदर रोजाना आकर रामलला को निहारने लगा, तब इनके मन में कई तरह के सवाल उठने लगे, लेकिन इन्होंने बंदर को आने से कभी नहीं रोका. मूर्तीकार अरुण योगीराज ने कहा कि रामलला के परम भक्त संकट मोचन हनुमान हर युग में अपने प्रभु का दर्शन करने आ जाते है,शायद ये बजरंगबली ही थे जो प्रतिदिन नियम से अपने आराध्य के दर्शन के लिए चले आते थे.
हनुमान जी कई बार रामलला के दर्शन के लिए अलग-अलग रुप में उनके पास आये
वहीं दू सरा सबसे बड़ा चमत्कार के बारे में बताते हुए मूर्तीकार अरुण योगीराज ने बताया कि हर दिन की तरह वो रामलला की मूर्ती निर्माण करने में लगे हुए, थे तभी एक बुजुर्ग साधु उनके पास आये, जिनको अरुण योगीराज नहीं जानते थे, लेकिन उनकी वेशभूषा को देखकर अरुण योगीराज ने सम्मान देते हुए कुर्सी पर बैठने को कहा, थोड़ी देर वो साधु कुर्सी पर बैठे, फिर उठकर चले गये, जिसके बाद जब अरुण योगीराज उस कुर्सी पर बैठे, तो उन्हें दैविक ऊर्जा महसूस हुई, मूर्तीकार अरुण योगीराज ने बताया कि मूर्ती निर्माण के सात महीनों के दौरान हनुमान जी कई बार रामलला के दर्शन के लिए अलग-अलग रुप में उनके पास आये है.जिसको उन्होंने महसूस किया है.
जब रामलला ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद बदले हावभाव, तो अरुण योगीराज भी रह गये हैरान
वहीं तीसरा सबसे बड़ा चमत्कार दुनिया ने अपनी आखों से देखा आपको बताये कि 22 जनवरी को अयोध्या भव्य राम मंदिर निर्माण के प्राण प्रतिष्ठा की तिथि तय की गई थी, लेकिन इसके कुछ दिन पहले ही रामलला की मनमोहक मूर्ती बनकर तैयार हो गई थी, जिसकी झलक सभी के सामने फोटो के रुप में जारी की गई, लेकिन जैसी ही प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पूरा किया गया रामलला के हाव भाव सबकुछ में परिवर्तन आ गया. जिसको पूरी दुनिया ने देखा. वहीं मूर्तीकार अरुण योगीराज ने इस बारे में बताते कहा कि जिस मूर्ती को उन्होंने बनाया ये वो नहीं है. जब मंदिर के गर्भगृह में मूर्तीकार अरुण योगीराज ने रामलला को देखा तो हैरान हो गये, और कहा कि ये उनका काम नहीं है. रामलला ने अपने हावभाव पूरी तरह से बदल लिये है. इससे बड़ा चमत्कार उन्होने कभी नहीं देखा है.वहीं इन सारी बातों को सुनकर लोगों ने इसलिए विश्वास किया क्योंकि ये सारा चमत्कार लोगों के सामने ही हुआ है.
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