टीएनपीडेस्क(TNPDESK): हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष की एक अलग ही भूमिका है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तीर्थ स्थलों पर पिंडदान और तर्पण करते हैं. पितृ पक्ष में बिहार के गया जिले में पिंडदान करने के लिए लोगों की भीड़ रहती है. लोग यहां आकर अपने पितरों के पिंडदान कर आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं, लेकिन जिनकी अकाल मृत्यु हो जाती है वैसे लोगों की पिंडदान की पूजा विशेष रूप से की जाती है
अकाल मृत्यु मरने वाले लोगों का ऐसे करें पिंडदान
गया पिंडदान के लिए मशहूर है यह हर वर्ष पितरपक्ष के दौरान हज़ारों की संख्या में लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए यहां आकर पिंडदान करते हैं, लेकिन माना जाता है कि गया में प्रेतशिला नामक एक पर्वत है जहां पिंडदान करने से अकाल मृत्यु से मरने वाले प्रेतयोनी में जो भटकते हैं उन्हें मोक्ष मिल जाती है. माना जाता है कि अगर किसी की अकाल मृत्यु हो गई है और उनकी आत्मा प्रेत योनी में भटक रही है तो उन्हें मुक्ति दिलाने के लिए पिंडदान के साथ सत्तु उड़ाने से आत्मा को शांति और उनके लिए स्वर्ग का मार्ग खुल जाता है.
प्रभु राम ने किया था इसी पर्वत से राजा दशरथ का श्राद्ध
माना जाता है कि प्रेतशिला पर्वत से पूर्वजों की पिंडदान करने से उनके लिए स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता है. किंवदंतियों के अनुसार इस पर्वत पर राजा दशरथ का श्राद्ध करने प्रभु राम, लक्ष्मण और माता सीता यहां आए थे उन्होंने इसी पर्वत पर स्थित ब्रह्म कुंड सरोवर में स्नान कर पिता दशरथ का श्राद्ध किया था. कहा जाता है कि इस पर्वत पर ब्रम्हा के अंगूठे से खींची गई दो रेखाएं आज भी दिखाई देती है.
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