टीएनपी डेस्क: 3 अक्टूबर से शुरू हुआ शारदीय नवरात्रि का त्योहार अब समाप्ति की ओर है. आज 9 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है. आज महासप्तमी पर माता कालरात्रि की पूजा की जा रही है. कल 10 अक्टूबर को महाष्टमी है. लेकिन इस बार महाष्टमी और महानवमी एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर को मनाए जाएंगे. वहीं, महानवमी को कन्या पूजन का नियम है. कन्या पूजन करने से नवरात्र करने वाले साधक के घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है. ऐसे में 11 अक्टूबर को कन्या पूजन किया जाएगा. हालांकि, एक ही दिन महाष्टमी और महानवमी पड़ने के कारण लोगों में कन्या पूजन के समय को लेकर असमंजस की स्थिति है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार कन्या पूजन के लिए क्या शुभ मुहूर्त है.
महानवमी कब
हिन्दू पंचांग के अनुसार, महाष्टमी और महानवमी एक ही दिन शुक्रवार 11 अक्टूबर को पड़ने से एक ही दिन मां महागौरी और माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी. ऐसे में 11 अक्टूबर को 12 बजकर 6 मिनट तक ही महाष्टमी तिथि रहेगी. इसके बाद महानवमी की शुरुआत होगी.
महानवमी में कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
महानवमी में कन्या पूजन के लिए तीन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर सुबह के 5 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. दूसरा, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. तीसरा विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 2 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. इस दौरान साधक कन्या पूजन कर सकते हैं.
कन्या पूजन विधि
इन चीजों का करें दान
कन्या पूजन के बाद कन्याओं को शृंगार सामग्री जैसे कि चूड़ी, बिंदी, क्लिप, चुनरी देना चाहिए. इसके साथ ही अन्न-फल, चांदी का सिक्का, मिठाई दान करना चाहिए. आप चाहे तो कन्याओं को कॉपी या स्टेशनरी सामान भी दे सकते हैं.
Disclaimer: यहां लिखी गई सारी जानकारी विभिन्न माध्यमों से ली गई है. किसी भी जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.
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