टीएनपी डेस्क(TNP DESK):आज यानी 19 अप्रैल को कामदा एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना काफी शुभ माना जाता है. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है, ये एकादशी रामनवमी के दो दिन बाद मनाई जाती है. इसको करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है. कामदा एकादशी मुख्य रूप से कामनाओं को पूर्ण करने के लिए किया जाता है. इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य से जो जाने अनजाने में पाप हुए है, वो पाप भी कट जाते हैं. इस साल का कामदा एकादशी आज 19 अप्रैल को मनाई जा रही है, ऐसा कहा जाता है कामदा एकादशी के व्रत कथा सुनने से मनुष्य की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं. कामदा एकादशी के दिन इसकी कथा सुना का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है तो आज हम आपको कामदायक एकादशी के व्रत की कथा के बारे में बताएंगे.
कामदा एकादशी की शाम जरुर सुनें ये कथा, पूर्ण होगी मनोकामना
आपको बताएं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुंडरीक नाम का नागो का एक राजा था, जो बड़ा ही वैभवशाली और धन संपत्ति से परिपूर्ण था. वही इस राजा के राज्य में सुंदर अप्सराओं के साथ गंधर्व और किन्नर निवास करते थे. इसी गांव में ललिता नाम की एक अति सुंदरी अप्सरा भी निवास करती थी. जिसका पति ललित भी वही उसके साथ रहता था. ललित नाग दरबार में गीत गाता था और नित्य दिखाकर सबका मन मोह लेता था. उसका काम राजा के दरबार में सब लोगों को मनोरंजित करना था.इनका आपस में बहुत प्रेम था. एक बार की बात है राजा पुंडरीक ने एक बार ललित को गाना गाने और नृत करने का आदेश दिया ललित गाना गाते हुए अपनी पत्नी ललिता को याद करने लगा. जिससे बाद ललित गाना भूल गया,ललित की इस गलती के बारे में कनकोटक नाम के नाग देवता ने पुंडरीक नाग राजा को बता दिया. जिससे पुंडरीक राजा नाराज हो गए और ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया. इसके बाद श्राप मिलते ही ललित एक अत्यंत बड़ा दिखने वाला राक्षस बन गया.
इसके बाद ललिता की पत्नी इस बात से बहुत ही दुखी हुई, ललिता अपने पति की फिर से दोबारा मनुष्य की तरह सुंदर करने के लिए उपाय ढूंढने लगी. तब एक कृषि ने ललिता को कामदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी, जब ललिता ने एकादशी व्रत का पालन किया और इस व्रत का पूर्ण लाभ अपने पति को दे दिया व्रत के साथ व्रत के प्रभाव से उसका पति फिर से राक्षस से मनुष्य बन गया. इस दिन खास तौर पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनको पीले फूल पंचामृत और तुलसी अर्पित किया जाता है.वहीं इस दिन कुछ खास नियमों का पालन करना पड़ता है, इस दिन किसी भी गरीब का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए. इस दिन झूठ भी नहीं बोलना चाहिए.
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