टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-हिन्दु धर्म में देवी का स्थान बहुत ऊपर रखा गया है. नवरात्री में मां दुर्गा की पूजा होती है. साल भर में चार नवरात्रि आथी है, जिसमे चेत्र औऱ शरदीय नवरात्र का बेहद ही महत्व है. दुर्गापूजा बंगाल, बिहार औऱ झारखंड में पूरे धूम धाम से दुर्गा पूजा मनाई जाती है. मां के भक्त इस दौरान मां की अराधान करते हैं, उन्हें खुश करने के लिए उपवास रखते हैं. सारी तामसिक गतिविधियां नौ दिनों तक दूर रहती है. देवी को खुश करने के लिए तो शक्तिपीठों में साधु, संतों और साधकों की भीड़ जुटी रहती है. दरअसल, पुराणों में बताया गया है कि मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आती है. जो उनका मायके होता है. इसके बाद दसवें दिन विजयदशमी के दिन कैलाश अपने ससुराल लौट जाती है. नवरात्रि के दिन भगवत पुराण में कहा गया है कि नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इतना ही नहीं दैहिक, दैविक और भौतिक तीनो तरह के दुख दूर हो जाते हैं.
नवारात्र में दुर्गा सप्तशती के पाठ का महत्व
नवरात्र में भक्त बेहद निष्ठा औऱ पवित्र होकर दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय का पाठ करते हैं . बताया जाता है कि इसका पाठ करने से मां जगदम्बे बेहद खुश अपने भक्त पर होती है. इसके संपूर्ण पाठ करने के लिए कम से कम तीन घंटे का समय लगता है. हालांकि, नवरात्रि के नौ दिन में कई भक्त पूरा पाठ करते हैं. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि विशेष समय में दुर्गा सपत्शती का पाठ किया जाए तो व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है, मां दुर्गा अपने भक्त पर इतनी प्रसन्न होती है कि उसके सारे दुख हकर समृद्धि औऱ धन प्रदान करती है.
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने सभी मुरादे पूरी होती है
धर्मशास्त्रों औऱ भक्तों को जो अनुभव रहा है इसके अनुसार श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है. जैसे नौकरी, संतान, भूमि, भवन वाहन, बिग़ड़े संबंध में सुधार, समृद्धि और धन की प्राप्ती होती है. धर्म शास्त्रों और पुराणों के अनुसार अगर दुर्गा सप्तशती का पाठ सही समय पर किया जाए तो माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. बताया जाता है कि प्राता काल में इसका पाठ करना शुभकारी है. पाठ के लिए राहुकाल का परित्याग करना चाहिए, क्योंकि इससे फल अशुभ माने जाते हैं. इसलिए भक्त को राहुल काल का ध्यान भी रखना चाहिए . ज्योतिष और धर्म शास्त्रों के अनुसार , नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के पाठ और सिद्धियों के लिए बहुत ही अच्छा समय माना गया है. देखा जाए तो दुर्गा सप्तशती का पाठ एक बहुत बड़ी उपासना है. यह इतना शुभ और लाभकारी माना जाता है कि यदि इसका पाठ नवरात्र में 9 दिनों तक मन से किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है. घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है औऱ बाहर से प्रवेश भी नहीं कर पाती है. हमेशा सकारात्मकता बनी रहती है.
दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय है
फलदायी औऱ मनोकामना पूर्ण करने वाली दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं . जिन्हें तीन हिस्सों में बांटा गया है. प्रथम भाग में मधु कैटम वध की कथा बताई गई है. दूसरे भाग में महिषासुर के वध की कथा है. वही तीसरे और अंतिम भाग में शुम्भ निशुम्भ वध की कथा बताई गई है. इसके साथ ही सुरथ और वैश्य को मिले देवी के वरदान की कथा के बारे में बताई गई है. ऐसा मान्यता है कि हर अध्याय के पाठ का अलग-अलग फल मिलता है. इसे बेहद ही चमत्कारिक मना गया है.
भगवान शिव ने बताई है महिमा
वेद पुराणों में दुर्गा सप्तशती के बारे में खुद भगवान शिव इसकी महिमा का बखान कर चुके हैं . पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को एक उपाय बताया था. उन्होंने पार्वती से कहा था कि जो अर्गला, कीलक और कवच का नित्य पाठ करते हैं, उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति होती है और संपूर्ण दुर्गा सप्तशती के पाठ का भी लाभ मिलता है.
नवरात्री में देवी दुर्गा की अराधना में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बेहद ही ज्यादा महत्व हैं. मां जगदम्बा इसके पाठ करने वाले भक्त की सारी मुराद पूरी कर देती है. दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्री में देवी के साधकों , उपासकों और भक्तों को चमात्कारिक फायदा पहुंचाता है.
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