टीएनपी डेस्क(TNP DESK):भादो मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है. आपको बता दें कि हर सुहागन महिला ये चाहती है कि उसके पति की उम्र लंबी हो और वो सदा सुहागन ही जिए, जिसके लिए महिलाएं कई तरह के व्रत करती हैं. हमारे हिंदू धर्म में पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ से लेकर हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है.
कब करें हरितालिका तीज व्रत?
वही आपको बता दे कि साल 2023 में 17 सितंबर रविवार की सुबह 11 बजकर 9 मिनट मिनट से 18 सितंबर सोमवार की दोपहर 12 बजकर 39 मिनच तक हरितालिका तीज का व्रत किया जाएगा, क्योंकि तृतीया तिथि का सूर्योदय 18 सितंबर को होगा, जिसकी वजह से ये व्रत 18 सितंबर को ही किया जायेगा.
पूजा से एक दिन पहले करें ये उपाय
तो चलिए आज हम आपको पूजा की विधि बताने जा रहे हैं, यदि इस तरह से सुहागिन महिलाएं पूजा करती हैं, तो उन्हें अमर सुहाग का वरदान भगवान शिव और पार्वती माता की ओर से मिलता है. आपको बता दे कि 18 सितंबर सोमवार के दिन हरितालिका तीज का व्रत रखा जाएगा, तो वहीं एक दिन पहले यानी 17 सितंबर के दिन से ही महिलाओं को लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन का त्याग करके सात्विक भोजन और संयम पूर्वक रहना चाहिए. वहीं 18 सितंबर की सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत पूजा का संकल्प लेना चाहिए. हर हरितालिका तीज का व्रत निर्जला रहकर किया जाता है, इसमें अन्न का एक दाना और पानी की एक बूंद भी महिलाएं ग्रहण नहीं करती हैं.
इस तरह करें पूजा, मिलेगा अमर सुहाग का आशीर्वाद
वहीं अगर ऐसा करना संभव न हो तो जैसा व्रत आप रखना चाहे वैसा संकल्प ले सकती हैं. दिन भर संयमपूर्वक रहकर बिना गलत विचार मन में लाये मन ही मन भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करें. घर के साफ-सफाई कर पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़काव कर उसे शुद्ध पूजा स्थान पर भगवान शिव देवी पार्वती श्री गणेश और रिद्धि सिद्धि के प्रतिमा या फोटो लगाएं. सबसे पहले भगवान श्री गणेश की पत्नियों सहित पूजा करें. इसके बाद शिव पार्वती की पूजा शुरू करें. पूजा के दौरान भगवान को बेलपत्र, फल, अबीर, गुलाल, होली और धतूरा चढ़ाएं. वहीं शिवजी को सफेद और देवी पार्वती को लाल वस्त्र धारण करवायें.
पहली बार माता पार्वती ने किया था व्रत
किसी भी व्रत या त्योहार के पीछे इसके शुरु हाने की कथा छुपी होती है. वहीं हरितालिका तीज व्रत की कथा के अनुसार देवी पार्वती का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था. लेकिन बचपन से ही माता पार्वती भगवान शंकर के प्रति प्रेम अथाह प्रेम था. जब माता पार्वती विवाह के योग हुई तो पार्वती शिव जी को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या करने लगी, लेकिन उनके पिता हिमालय किसी दुसरे से पार्वती का विवाह करनावा चाहते थे.
वहीं माता पार्वती ने घने जंगल में जाकर घोर तपस्या शुरु कर दी. और जंगल में मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजने लगी. जिसको देखकर भगवान शंकर प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि वो देवी पार्वती को पत्नी के रूप में वरण करेंगे.तब से मानता है कि हरितालिका तीज का व्रत शुरु हुआ. विवाहित महिलाओं के साथ कुंवारी कन्याएं भी मनपसंद वर की प्राप्ति के लिए ये व्रत करती हैं.
4+