टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया जाएगा. लोग अपनों के साथ तिल से बनी मिठाईयां खायेंगे, बच्चे रंग बिरंगे पतंग उड़ाएंगे और बुजुर्ग गंगा स्नान और दान पुण्य करेंगे. इस त्योहार के साथ कई धार्मिक मान्यताएं और सांस्कृतिक परंपराएं जुड़ी हैं. मकर संक्रांति के इस विशेष मौके पर आपको मकर संक्रांति से जुड़े कई मान्यताओं और उन घटनाओं के बारे में बताते हैं.
मकर संक्रान्ति पर तिल और उड़द का विशेष महत्व
मकर संक्रांति को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. इसके नाम से ही यह पता चलता है कि इस त्यौहार के लिए तिल कितना महत्वपूर्ण होता है. जैसा कि आपको पता है कि मकर संक्रांति के मौके पर तिल से भगवान विष्णु सूर्य और शनि देव की पूजा की जाती है. इसके पीछे एक कहानी है. दरअसल, शनि महाराज ने अपने क्रोधित पिता को शांत कराने के लिए तिल से उनकी पूजा की थी. पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि महाराज को वरदान दिया था कि जब भी मकर राशि में शनि आएंगे तो दिल से उनकी पूजा की जाएगी. ऐसा करने से सभी के शनि दोष दूर होंगे और उन्हें सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी और मकर संक्रांति के दिन शनि मकर में आते हैं. यही कारण है कि इस दिन तिल का दान और सेवन करने की मान्यता है. बात उड़द की करें तो इस दिन उड़द दाल का भी दान करने का महत्व है. उड़द दाल का संबंध शनि देव से है. इस दिन उड़द का दाल का सेवन करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है.
मकर संक्रांति पर दान करने से सौ गुना बढ़ जाता है पुण्य
पूर्वजों की माने तो मकर संक्रांति के दिन ब्राह्मणों को तिल और उड़द दान करना चाहिए. उड़द और उड़द की दाल का दान करने से शनि प्रसन्न होते हैं. वहीं तिल का दान या तिल से बने मिठाई जैसे रेवड़ी और गजक का दान करना बेहद लाभकारी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गरीबों में दान करने से पुण्य सौ गुना बढ़ जाता है.
मकर संक्रांति के मौके पर जरूर करें गंगा स्नान
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करना बेहद लाभकारी माना गया है. अगर आप भी गंगा स्नान करने का सोच रहे हो तो यह मौका आपके लिए काफी उचित है. शास्त्रों के अनुसार कपिल मुनि के आश्रम पर जिस दिन माता गंगा आई थी उस दिन मकर संक्रांति का त्यौहार था कपिल मुनि ने मां गंगा का आशीर्वाद देते हुए कहा था कि इस दिन जो भी गंगा स्नान करेगा उन सभी भक्तजनों की पीढ़ियों को मुक्ति और मोक्ष प्रदान होगा. यही कारण है कि मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान करने से विशेष पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मकर संक्रान्ति के दिन खिचड़ी का बहुत है महत्व
एक ऐसा व्यंजन है जो कई तरह के दाल और चावल को साथ मिलाकर बनाई जाती है. कहां जाए तो यह अलग-अलग चीजों का मिश्रण है. पांडा पुरोहितों के अनुसार खिचड़ी समाज को एकरूपता में बांधने का संदेश देती है. इस दिन खिचड़ी दान करने का भी बहुत महत्व है. इस दिन चावल, उड़द की दाल, मूंग की दाल, गुड और अन्य चीजों को मिलाकर बनाई गई खिचड़ी का दान करना चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है और मन में शांति का निवास होता है. केवल दान ही नहीं, इस दिन परिवार के साथ बैठ कर खिचड़ी खाने से रिश्तों में मिठास बनी रहती है.
मकर संक्रान्ति पर क्यों उड़ाई जाती है पतंग, जानिए
मकर संक्रान्ति के अवसर पर आकाश में रंग बिरंगे पतंग दिखाई देते हैं. बचपन में इस दिन आपने भी खूब पतंगे उड़ाई होंगी. लेकिन क्या कभी सोचा है कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा कब से चली आ रही है और इसका कारण क्या है. इस सवाल का जवाब आपको कई ग्रंथों में मिल जाएगा. तमिल की तंदनान रामायण मैं इस सवाल का जवाब भी दिया गया. इसके अनुसार मकर संक्रांति के अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने पतंग उड़ाई थी. यह पतंग उड़कर इंद्रलोक तक पहुंच गई थी. तभी से इस त्यौहार के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है. गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस के बालकांड में इस प्रसंग का वर्णन किया गया है.
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