टीएनपी डेस्क(TNP DESK):कल यानी 29 जून से ही देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास की भी शुरुआत हो जायेगी. चातुर्मास यहां उसे महीने को कहा जाता है जिस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु चार महीनों के लिए निद्रा अवस्था में चले जाते हैं. इन महीना में सावन, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक शामिल है. इन सारे महीनों को मिलाकर चातुर्मास बनता है. देवशनि एकादशी से लेकर देव प्रबोधिनी एकादशी तक चलती है. इस समय श्री हरि विष्णु योग निद्रा में लीन रहते हैं. जिसकी वजह से हिंदू रिति-रिवाज के अनुसार सभी मंगल कार्य शादी-विवाह बंद कर दिये जाते है.
29 जून से ही देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास की भी शुरुआत
आपको बता दें कि चातुर्मास के चारों महीने हिंदू धर्म के लिए काफी महत्वपूर्ण और पवित्र माने जाते हैं. आषाढ़ के महीने में अंतिम समय से भगवान वामन और गुरु पूजा का विशेष महत्व होता है. सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के उपासना की जाती है. तो उनकी कृपा बड़ी ही आसानी से बरसती है.
देवउठनी एकादशी के दिन निद्रा त्यागते हैं भगवान विष्णु
भाद्रपद से भगवान कृष्ण का जन्म होता है. वहीं अश्विन में देवी शक्ति की पूजा की जाती है. कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन निद्रा त्यागकर फिर से सृष्टि का कार्यभार संभाल लेते हैं. और उनके आगमन से ही शुभ मांगलिक कार्य शुरु हो जाते है. क्योंकि भगवान बिष्णु देवशयनी एकादशी के दिन भोलेनाथ को सृष्टी की जिम्मेदारी सौंपकर 4 महीनो के लिए निद्रा अवस्था में जाते हैं. तो वहीं देवउठनी एकादशी के दिन श्रीहरि के लौटते ही भोलेनाथ सृष्टी की जिम्मेदारी फिर से भगवान को सौंपकर कैलाश पर्वत लौट जाते हैं.
चातुर्मास में इन चीजों का करना चाहिए त्याग
आपको बता दे की चातुर्मास में लोगों का भोजन और जीवनशैली जितना सादा और साध्विक होगा. उतना ही अच्छा माना जाता है.उस दौरान साध्वीक खाना खाना चाहिए. और भगवान की भक्ति में लीन होना चाहिए. चातुर्मास के चारों महीनों में भगवान की आराधना अच्छी तरीके से करना चाहिए. चातुर्मास में एक ही टाइम भोजन करने को उत्तम माना गया है. इसमे मुख्य रुप से सावन महीने में शाक, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक में दाल नहीं खाना चाहिए. जल का अधिक से अधिक पीना चाहिए.
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